George Fernandes – The Unique Socialist Trail Blazer
“Do not go where the path may lead, go instead where there is no path and leave a trail.” – Ralph W Emerson If one looks at the life and times of George Fernandes one would readily endorse Emerson’s above quote. George Fernandes did not traverse the well-trodden path. Instead, he blazed a new trial by organizing the hitherto unorganized sections of the oppressed and dispossessed sections of society. I have watched George Fernandes growing at a hectic speed from a city level political and labour leader to a leader of a national stature. I am glad to that in some way, I also have been a part of this process. I recall my first encounter him in the early sixties when I was a schoolboy and he was an agitationist who threw himself on the railway tracks to stop the train during the bandh which he himself had declared …
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मुंबई का यादगार चुनाव: पाटिल बनाम जार्ज फर्नांडिस
तब नईनवेली प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी को कांग्रेसी दिग्गज गूंगी गुड़िया समझते थें। हालांकि इस विषेषण को गढ़ा था लोहिया ने। चैथी लोकसभा के निर्वाचन की (फरवरी 1967) बेला थी। स्वातत्र्योत्तर भारत में सत्तासीन कांग्रेस पार्टी ढलान पर थी। उसकी टूट आसन्न थी। पहले तीन आम मतदान के परिणाम में तीनचैथाई सीटंे जीतनेवाली नेहरू की पार्टी, उनके निधन के ढाई वर्षों में ही, साठ सीटें हार गई। सदन में सामान्य बहुमत से महज ग्यारह सदस्य अधिक थें। कम्युनिस्टों की बैसाखी की आवष्यकता पड़ गई थीं। उस वक्त राष्ट्र की उत्सुक नजरें मुम्बई की चार लोकसभाई सीटों पर केन्द्रित थी। वैचारिक रूप से ऊँचे कदवाले, सियासी तौर पर दृढ काठीवाले इन नेताओं की प्रतिद्वन्द्विता भी उग्रतर हो रही थीं। नेहरू के रक्षामंत्री रहे निर्दलीय प्रत्याषी वी.के. कृष्ण मेनन का सामना महाराष्ट्र के कांग्रेसी मंत्री एस.जी. बर्वे से था। कम्युनिस्ट श्रीपाद अमृत डांगे की टक्कर उद्योगपति हरीष महिन्द्रा से थी। अपने दैनिक मराठा …
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Railway Strike of 1974 – A Flash Back
जार्ज फर्नांडिस बम्बई के मशहूर ट्रेड यूनियन नेता थे। वे बम्बई के हास्पिटल, टैक्सी, ट्रांसपोर्ट, होटल तथा मजदूरों से जुड़े अनेकों मजदूर संगठनों के हिन्द मजदूर पंचायत के अध्यक्ष थे। साथ ही वे समाजवादी पार्टी के भी अध्यक्ष थे। वर्ष 1972 में के जेनरल काउंसिल की बैठक दिल्ली में आयोजित थी। AIRF की बैठक से पहले AIRF और NFIR के नेताओं में आपसी सहमति बनी कि रेलकर्मियों की मांगों को लेकर संयुक्त रूप से आंदोलन किया जाये, क्योंकि विभिन्न फोर्मों पर लिखित और आपसी बात चीत से सरकार मजदूरों की मांगों के प्रति दिलचस्पी नहीं ले रही थी। दूसरी ओर सरकार यह भी कह रही थी कि बोनस की मांग तो राजनीतिक मांग है। इसी बीच जार्ज साहब National Railway Mazdoor union, बम्बई के अध्यक्ष चुन लिये गये। यह यूनियन AIRF से सम्बद्ध Central रेलवे मजबूत संगठन है। इसके बाद वर्ष 1973 के अक्टूबर माह में South Central Railway Mazdoor …
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My Friend George Fernandes
George is 88 today. But he is not with us today in Mumbai. He is in Delhi lying on his bed. He does not get up. We cannot celebrate his birthday with him. I’ve known George for ages. All of us have. He was always up and about. He was always active. One often wondered whether he ever slept. But now he is sleeping. As if he is making up for all those years when he never slept. I have been following public figures in India and abroad ever since I was a boy. Those who were alive then were Nehru, Chavan, JP, SM, Nath Pai, Lohia, Madhu Limaye, Krishna Menon. And George. I’ve always wondered what they contributed to India in those early days of Independence. And then I start comparing. George had umpteen interests, as he himself always said. The first one was trade unionism. Mostly in Mumbai. …
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